दिल्ली: राष्ट्रपति (President) पद के लिए तीन संभावित उम्मीदवारों (Candidate) के चुनाव लड़ने से इनकार करने के साथ विपक्षी दलों के नेता (Opposition Leaders) 18 जुलाई को होने वाले चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार का नाम तय करने को लेकर मंगलवार दोपहर दिल्ली (Delhi) में फिर से बैठक करेंगे. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री (Jammu Kashmir Former CM) फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) के इनकार के बाद सोमवार को पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पूर्व राज्यपाल (Former Governor) गोपालकृष्ण गांधी ने भी आगामी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है.
बीजेपी के खिलाफ गठजोड़ को और मजबूत करने की उम्मीद के बीच पवार मंगलवार को 17 विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक की अध्यक्षता करेंगे. तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कोलकाता में कहा कि कुछ विपक्षी दलों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार बनाने का सुझाव दिया है. तो वहीं बीजेपी भी 18 जुलाई को होने वाले 16वें राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के उम्मीदवार के बारे में चुप्पी साधे हुए है. चुनाव के नतीजे 21 जुलाई को घोषित किए जाएंगे.
देश को मिले मुझसे भी अच्छा राष्ट्रपति
महात्मा गांधी के परपोते और सी राजगोपालाचारी के परनाती गोपालकृष्ण गांधी ने एक बयान में कहा कि विपक्षी दलों के कई नेताओं ने राष्ट्रपति पद के आगामी चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बनने के लिए उनके नाम पर विचार किया जो उनके लिए सम्मान की बात है. गांधी ने कहा कि मैं उनका अत्यंत आभारी हूं. लेकिन इस मामले पर गहराई से विचार करने के बाद मैं देखता हूं कि विपक्ष का उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो विपक्षी एकता के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति पैदा करे. गांधी ने कहा कि मुझे लगता है कि और भी लोग होंगे जो मुझसे कहीं बेहतर काम करेंगे. इसलिए मैंने नेताओं से अनुरोध किया है कि ऐसे व्यक्ति को अवसर देना चाहिए. भारत को ऐसा राष्ट्रपति मिले, जैसे कि अंतिम गवर्नर जनरल के रूप में राजाजी (सी राजगोपालाचारी) थे और जिस पद की सबसे पहले शोभा डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बढ़ाई.
विपक्ष में नहीं बन रही सहमति
इससे पहले, विपक्षी दलों के नेताओं ने 15 जून को यहां बैठक की थी, जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों के रूप में पवार और अब्दुल्ला के नामों का प्रस्ताव रखा था. पवार ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि वह ‘‘आम लोगों की भलाई के लिए अपनी सेवा’’ जारी रखते हुए खुश हैं. वहीं, अब्दुल्ला ने अनिच्छा जाहिर करते हुए कहा था कि ‘‘वह जम्मू कश्मीर को वर्तमान महत्वपूर्ण मोड़ से आगे बढ़ाने में योगदान देना चाहते हैं. विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार का चयन एक कठिन कदम है क्योंकि क्षेत्रीय दलों के विविध विचारों से आम सहमति तक पहुंचना मुश्किल है. पिछले हफ्ते, शिवसेना ने गांधी और अब्दुल्ला की उम्मीदवारी को खारिज करने की मांग करते हुए कहा था कि ‘‘राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अक्सर उनके नाम आते हैं. शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा था कि अब्दुल्ला और गांधी विपक्षी दलों के गठबंधन में ‘‘मजबूत बिंदु नहीं हैं और उनमें राष्ट्रपति चुनाव को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए जरूरी ‘‘कद’’ की कमी है.
यशवंत सिन्हा के नाम हो रहा है विचार
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक वरिष्ठ नेता (Senior Leader) ने सोमवार को कहा कि गैर-बीजेपी दल (Non BJP Party) आगामी राष्ट्रपति चुनाव (President Election) के लिए संभावित संयुक्त उम्मीदवार (Common Candidate) के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) के नाम पर विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुछ विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर पिछले साल तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए बीजेपी के पूर्व नेता सिन्हा के नाम का प्रस्ताव किया है और “तीन से चार” ने इसका समर्थन किया है.
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री और तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को इस तरह के फोन आए और वह भी सिन्हा को विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रही हैं. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यशवंत सिन्हा अब टीएमसी नेता (TMC Leader) हैं. इसलिए, हम कोई भ्रम नहीं चाहते हैं कि प्रस्ताव हमारी ओर से किया गया गया है. उनके नाम पर तीन से चार पार्टियां सहमत हो चुकी हैं. अब अन्य दलों को फैसला करने दें.